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"who says you can't ?. you do." full book summary in hindi.

This inspirational summary will change your life:-

क्या
आप थक नहीं गए, अपने दोस्तों और परिवार के नेगेटिव शब्दों को सुनकर? दूसरों के साथ compare किए जाने से? आप लाइफ में क्या नहीं कर सकते' उसे सुनकर थक गए हैं?

अगर आपका जवाब हाँ है तो आपकी चिंता अब खत्म होगी क्योंकि यह समरी आपके लिए सब बदल देगी। यह आपको, ख़ुद को और भी अच्छे से जानने में मदद करेगी। यह आपको बताएगी की लाइफ में बहुत सारी लिमिट्सहैं जिन्हें तोड़ा जा सकता है और लाइफ हमेशा ग्रोथ और डेवलपमेंट के बारे में है। तो आइए बिना किसी बाउंड्री और रेस्ट्रिक्शन की दुनिया में चलते हैं।

हम जैसा बर्ताव करते हैं वैसा क्यों करते है?
हमारी वैल्यूज के पीछे का कारण क्या है? सब
लोग इतने अलग क्यों हैं? क्यों कुछ लोग दिन
भर प्रोडक्टिव रहते है और कुछ लोग घंटे भर के
लिए भी प्रोडक्टिव नहीं रह पाते? क्यों कुछ लोग
इतने मोटिवेटेड होते है? एक बेहतर इंसान कैसे
बना जा सकता है? सक्सेस पाने के लिए आपको
लाइफ में कौन सी स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए? आप जैसी चाहते है वैसी लाइफ कैसे बना सकते है?
डैनियल चिडियाक ने अपने करियर की शुरुआत
में कसम खाई थी की वो इन सवालों के जवाब
ढूंढ़कर ही रहेंगे। किसी भी एस्पाइरिंग एंटरप्रेन्योर
की तरह ही, डैनियल ने भी जब शुरुआत की थी
तब उनके पास कुछ भी नहीं था। डैनियल के
एक्सपीरियंस कुछ इस तरह थे जहां उनके ना
जॉब थी, न कोई मोटिवेशन, ना जीवन जीने की
चाह, उनकी लाइफ में सब कुछ उथल पुथल चल
रहा था।

वह अपना पर्पस जानना चाहते थे, वह दुनिया पर
अपना इम्पैक्ट छोड़ना चाहते थे, लेकिन वह नहीं
जानते थे कि कैसे |

अगर आप भी ऐसी ही सिचुएशन में हैं तो आराम
से बैठ जाइये और रिलैक्स कीजिए। यह समरी
आपको बताएगी कि कैसे डैनियल ने ख़ुद को
जीरो से हीरो में बदल दिया था।
ये समरी आपको सिखाएगी कि आपके
एक्सपीरियंस का आपके सक्सेस में बहुत बड़ा
योगदान होता है। ये दूसरों की इच्छा के बजाय
आपको अपने टर्म्स पर लाइफ जीना सिखाती है।
ये आपको सच्ची ख़ुशी पाने में मदद करेगी।
आने वाले चैप्टर्स में आप सीखेंगे कि डैनियल
ने अपनी लाइफ को बदलने के लिए क्या-क्या
कदम उठाए थे।

सेल्फ डिस्कवरी (SELF DISCOVERY):

आप हर दिन कितनी बार टीवी देखते है?
उन एडस, ड्रामा और फिल्मों को देखते हुए, सभी
तरह के प्रोफेशन और कमर्शियल को देखने से
हमें एंटरटेनमेंट मिलता है, राइट?
अब, यह बताइये कि आपने कितनी बार किसी
को खाना बनाते, कार चलाते, या टायर ठीक
करते देखा है? शायद एक से ज्यादा बार? पांच
बार? शायद दस बार भी?
तो जान लीजिए कि चाहे आप कितनी भी देर तक या कितनी बार भी किसी को कुछ करते हुए देखेंगे तो भी आप तब तक कुछ नहीं सीखेंगे, जब तक आप खुद उसे करने की कोशिश ना करें।
इसलिए, सेल्फ डिस्कवरी के पहले स्टेप में सिर्फ
कुछ पढ़ लेना या जान लेना काफी नहीं है. कुछ
समय बाद आप उसे भूल जाएँगे इसलिए उसे खुद try करना बहुत ज़रूरी है,

सेल्फ डिस्कवरी एक छोटे से टास्क से शुरू होती
है जो है सवाल पूछना. दिन में एक बार इस
छोटे से टास्क को करने के लिए टाइम निकलना,
आपके फ्यूचर पर बड़ा इम्पैक्ट डालेगा। सवाल
पूछकर और एक्शन लेकर आप अपनी
लिमिटेशंस और बाउंड्री से आगे बढ़ जाएंगे।
अब, पहले सवाल पर चलते हैं।
मैं कौन हूँ?

एक ऐसे सवाल से शुरू करें जो आपकी
आइडेंटिटी और ग्रोथ को जानने में मदद करे। इस
सवाल का जवाब ढूंढ़ते वक्त, अपने ब्रेन में और
कोई थॉट ना आने दें। अपने अंदर ध्यान से देखें
और इन सवालों का जवाब दें

क्या मैं दयालु हूँ?

क्या मैं बहादुर हूँ?

क्या मैं हेल्पफुल हूँ?

क्या में दूसरों के बारे में सोचता हूँ?
अपने पॉजिटिव qualities की लिस्ट बनाएं
और उसे बार-बार पढ़ें। जब आप सवालों को
बार-बार पढ़ेंगे तो आपका ब्रेन नैचुरली आपके
लाइफ के मोमेंट्स और मेमोरी को याद करने
लगेगा। आपको ऐसा एक्सपीरियंस याद आ
सकता है जहाँ आप बड़ी दया के साथ पेश आए
थेया दूसरों के बारे में पहले सोच रहे थे. आपको
ऐसे भी पल याद आ सकते हैं जब आप किसी के
साथ बहुत rude थे या आप बहुत ज्यादा डरे
हुए थे।

अगर आपको बुरी बातें ही याद आ रही है, तो
कोई बात नहीं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि
आपका ब्रेन बुरे एक्सपीरियंस को पहले याद
करता है। आपका ब्रेन ऐसा इसलिए करता है।
क्योंकि आप खुद अपने साथ ऐसे ही पेश आते है।
आप अपनी गलतियों के लिए खुद को सजा देते
हैं और खुद को नेगेटिविटी से भर लेते हैं।
लेकिन यह समरी आपको याद दिलाएगी कि
आपने सिर्फ गलतियां नहीं की है। अंदर से आप
भी यह जानते है कि आप ऐसे इंसान नहीं है।
इसलिए एक बार फिर सवालों को पढ़े और फिर
से सोचें यह सोचने की कोशिश करें कि आप
कितनी बार बुरे के बजाय एक अच्छे इंसान रहे हैं।
उन पलों के बारे में सोचें, जहां आप दयालु,
हेल्पफुल, और लविंग थे और उस मोमेंट में फील
हुई इमोशंस पर फोकस करें। अगर आप हमेशा
इन मेमोरीज को ध्यान में रखेंगे तो आप अच्छा
फील करेंगे, अधूरा फील नहीं करेंगे।
हालांकि, अगर आपको लगता है कि आप अभी
तक ऐसे इंसान नहीं बने हैं, तो अपने आप से पूछें
कि आप कैसे खुद को बदल सकते है। यहाँ पर
गोल सिर्फ यह पता करना नहीं है कि आप एक
इंसान के तौर में कैसे है। इस समरी का पर्पस
आपको ऐसा इंसान बनने की हिम्मत देना भी है,
जो आप सच में है बिना किसी टाइटल, उम्मीदों
या जिम्मेदारियों के

"आई" और "मी" में बहुत फर्क होता है।
मी हमारी बाहरी आइडेंटिटी यानी पहचान है
जैसे बेटा बेटी, टीचर, मदर, दोस्त या लवर
यह हमारी आइडेंटिटी का एक पार्ट है जिसे हम
दूसरे लोगों को दिखाते हैं, एक पार्ट जिसे हम सच
मानते हैं। दूसरी ओर, आई हमारी वो आइडेंटिटी
है, जो हमें अकेले होने पर दिखती है। जब आप
बिना किसी अचीवमेंट, एक्सपेक्टेशन और
रिस्पांसिबिलिटी के होते हैं तब आप कौन हैं?
आई आपकी इंटरनल यानी अंदर की पहचान को
दिखाती है। यह आपके स्टेटस, माहौल या लोगों
पर डिपेन्ड नहीं करता है। यह जानने के लिए कि
आप कौन हैं, यह जानना जरूरी है कि आप क्या
है, न सिर्फ़ लोग आपको क्या बनाना चाहते है।
अब सवालों वाले लिस्ट पर जाइए जो हमने पहले
बनाई थी और "क्या मैं " को हटाकर मैं हूँ में
बदल दीजिए। अब आप फ़र्क देख सकते हैं.
में हेल्पफुल हूँ
-

मैं दयालू हूँ

मैं ईमानदार हूँ

मैं बहादुर हूँ

अपनी उन क्वालिटीज़ को याद कीजिए जो
आपको अलग बनाती है। भूल जाइये जो दुनिया
ने आपको आपके बारे में बताया है और अपने
दिल को फॉलो कीजिए। एक अलग माइंडसेट
यानी नज़रिया रखने पर फोकस कीजिए।
अपने आप से कहे सारे नेगेटिव शब्द भूल जाइये
और खुद से प्यार करना शुरू कीजिए। अपने
आप को देखने का तरीका बदलने से आपकी
लाइफ बदल जाएगी।

यह चैप्टर यह जानने के लिए है कि आप अपने
आप से क्या-क्या झूठ बोल रहे थे, ये आपको
आप के अंदर की सच्चाई को महसूस भी
करवाएगी। लोग आपके बारे में सब कुछ नहीं
जानते और उन्हें गलत साबित करने का वक़्त
आ गया है।

एनर्जी हमारी फंडामेंटल फोर्स है
(ENERGY IS OUR FUNDAMENTAL FORCE): 
हम इस चैप्टर को एक स्टोरी के साथ शुरू करेंगे।
जो दो लोगों, नियो और पॉसी के बारे में है।
नियो एक ऐसा इंसान है जिसे कम्प्लेन करना
अच्छा लगता है। वो गंदे रास्तों, छोटे अपार्टमेंट
और rude बॉस के बारे में कम्प्लेन करता रहता
है। 8 से 10 घंटे सोने के बाद भी, नियो बहुत
जल्दी थक जाता है, जिससे उसका मूड और
परफॉरमेंस बिगड़ जाते है।

दूसरी तरफ, पॉसी एक बहुत पॉजिटिव इंसान
है। वह आज में जीना पसंद करती है और
हमेशा पॉजिटिव सोच रखती है। वो ख़ुद को ऐसी
इनफार्मेशन बताने में यकीन रखती है जिससे
वो बेटर फील करे। पॉसी को मोटिवेटिंग शब्दों
से लोगों की मदद करना भी अच्छा लगता है।
वो दिन में सिर्फ़ 4 से 6 घंटे ही सोती है, लेकिन
वह हमेशा एनर्जी से भरी रहती है। नियो के
opposite पॉसी हमेशा अपना बेस्ट
परफॉर्म करती है।

हमें अपने डेली लाइफ में एनर्जी की जरुरत होती
है। एनर्जी हमें सुबह उठने, ब्रेकफास्ट बनाने और
काम पर जाने में मदद करती है। बिना एनर्जी के
एक इम्पोर्टेन्ट मीटिंग में जागे रहना या काम करने
की मोटिवेशन होना मुश्किल है।
बहुत से लोग सोचते है कि ज्यादा एनर्जी के लिए
इंसान को सोना चाहिए और ज्यादा आराम
करना चाहिए। हालांकि सोना हेल्पफुल है, लेकिन
यह पूरे दिन एनर्जी बनाए रखने के लिए काफी
नहीं है। सच तो यह है कि हमारी एनर्जी सिर्फ
फिजिकल ही नहीं बल्कि मेन्टल स्टेट के बारे में
भी होती है।

भले ही आप पूरा दिन रेस्ट क्यों न कर ले, आप
तब तक एनर्जी से भरा हुआ फील नहीं करेंगे
जब तक आपका माइंड एनर्जी से भरा ना हो।
अब, आप सोच रहे होंगे कि अगर नींद नहीं, तो
वो क्या चीज़ है जो आपको एनर्जी से भर सकती
है। जवाब सिंपल है, आपको बस uplifting
एनर्जी यानी ऐसी एनर्जी की जरूरत है जो आप
में inspiration और जोश फूंक सके।
इमेजिन कीजिये। एक वीकेंड आपके दोस्त
या cousins आपको पार्टी में जाने के लिए
invite करते हैं। आपके पास तीन इनविटेशन
आते हैं एक friday शाम के लिए, दूसरा
saturday के लिए और तीसरा sunday के
लिए। आप उनमें से किसी को मना नहीं कर
पाते, तो आप तीनो पार्टी में जाने का फैसला
करते हैं।

आप ये देखकर हैरान रह जाते हैं कि friday को
सिर्फ़ 4 घंटे सोने के बावजूद भी saturday को
पार्टी करने के लिए आप में भरपूर एनर्जी होती है।
इस एनर्जी का कारण आपके अंदर की वही
uplifting एनर्जी है। ये एनर्जी और भी ज्यादा
अच्छी एनर्जी क्रिएट करती है, जिसकी मदद से
आप बिना थके तीनो पार्टी में जा सके।
इस चैप्टर का मकसद आपको यह बताना है कि
आपका माहौल आपके परफॉरमेंस को एफेक्ट
नहीं करना चाहिए। आपको अपने इमोशंस का
मास्टर ख़ुद होना चाहिए।
हमें हर दिन सोशल मीडिया न्यूज़ और अपने
आसपास वालों से भी बहुत नेगेटिव एनर्जी
मिलती है। अगर हम इस नेगेटिविटी को अपने
अंदर भरते रहेंगे तो हम भी नेगेटिव फील करेंगे।
अब सवाल है कि नेगेटिविटी कैसी फील होती है?
ये हमें थकान और कमज़ोरी महसूस करवाती है।

सच तो यह है कि हमें कम्प्लेन करके या नेगेटिव
शब्द सुनकर कुछ नहीं मिलेगा। लेटेस्ट न्यूज़ और
updates के बारे में जानकारी होना अच्छा है
लेकिन इस हद तक नहीं कि आप डर जाएं या
परेशान हो जाएं और वो भी उन चीज़ों के लिए
जिन पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है। हमारी
एनर्जी बहुत इम्पोर्टेन्ट है और नेगेटिविटी एनर्जी
को खत्म कर देती है। इसलिए, हमें हमारी एनर्जी
कैसे और कहाँ ख़र्च करनी है, इसकी जानकारी
होना चाहिए। हमें दुनिया के हिसाब से अपनी
एनर्जी को use नहीं करना है इसलिए आपके
साथ या आसपास जो कुछ भी होता है उस पर
रियेक्ट करना बंद करें और प्रोएक्टिव होना शुरू
करें।

हमें फोकस 'हम कौन हैं और दिन भर
uplifting एनर्जी को बनाए रखने पर करना
चाहिए। कम्प्लेन करना बंद करें और जो कुछ भी
हम देखते हैं appreciate करना शुरू करें।
उस पर फोकस करना बंद करें जो हमारे पास नहीं
है और जो हमारे पास है उसे देखना शुरू करें।

Be in charge:-

सक्सेस सब के लिए नहीं है और ना ही यह
लकलोगों को अमीर बना देता है। ऐसा नहीं होता
है कि एक दिन आप सुबह उठे और अपने आप
को एक बड़े बंगले में बैठा हुआ देखते हैं और
आपका बैंक अकाउंट रूपए से खचाखच भरा
हुआ है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग सक्सेस
को कैसे डिफाइन करते हैं, यह सब मेहनत और
लगन पर डिपेंड करता है।

हर मिलियनेयर जो कई सालों से टॉप पर है
उन्होंने रातों रात पैसे नहीं कमाए। इसके लिए
उन्होंने बहुत मेहनत की है, ना कि हाथ पर हाथ
धरे बस पैसों के आने का इंतज़ार किया। हर
सक्सेस एक विज़न के साथ शुरू होती है। लेकिन
बिना उस पर काम किए, विज़न भी सिर्फ दूर का
सपना बनकर रह जाता है।

आइए इसे एक example से समझते हैं -
डिज़नी वर्ल्ड की ग्रैंड ओपनिंग 1 अक्टूबर, 1971
को फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में हुई थी। इसका नाम
इसके फाउंडर वॉल्ट डिज़नी के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस लॉन्च से चार साल पहले मौत हो गई थी।

वहाँ आए हुए एक गेस्ट ने वॉल्ट डिज़्नी की
वाइफ, लिलियन से कहा, "मैं यह सोच रहा हूँ कि
अगर वॉल्ट यह सब देखते तो उन्हें कैसा फील
होता।" जिस पर लिलियन ने जवाब दिया, "अगर
वॉल्ट ने इसका सालों पहले सपना नहीं देखा होता तो आज ये हकीकत बनकर हमारे सामने नहीं होता।"

लिलियन यहाँ वॉल्ट के डिज़्नी वर्ल्ड को शुरू
करने के विज़न की बात कर रही थी। जब वॉल्ट
ट्रेन से Manhattan से हॉलीवुड जा रहे थे,
तब अचानक उनके ब्रेन में मिकी माउस की एक
तस्वीर आई। उस वक्त वॉल्ट और उनके भाई
रॉय दिवालिया होने के कगार पर थे। बिज़नेस
के सबसे बुरे दौर में वॉल्ट को डिज़्नी वर्ल्ड का
आईडिया आया था।

किसी भी जर्नी में सक्सेस पाने के लिए, इंसान
के पास एक विज़न होना चाहिए और उसे भरोसा
होना चाहिए कि वो उस सपने को पूरा कर लेगा।
बहुत से लोग उन विज़न से बचते हैं जो वे देखते
हैं। उनका डर, चिंता और insecurity उन्हें
दुनिया को अपने बेमिसाल आइडिया को दिखाने
से रोक देती है। फ्यूचर के बारे में कुछ नहीं कहा
जा सकता लेकिन, इसका मतलब ये तो नहीं होना चाहिए कि आप घबराकर या नेगेटिव सोचकर अपने गोल्स को ही छोड़ दें।
अनसर्टेनटी और डर को एक्सेप्ट करना चाहिए
यह हर किसी के जर्नी का हिस्सा है। आपको
इनके कारण कभी भी अपने सपनों तक पहुँचने
से हार नहीं माननी चाहिए। जैसा कि वॉल्ट डिज़्नी कहा करते थे, "अगर आप कोई सपना देख सकते हैं तो उसे हकीकत भी बना सकते हैं।"
अपनी लाइफ को अपने हाथ में ले। आप जो
चाहते है उसका एक क्लियर विज़न रखे, प्लॉन
बनाएं, और उस पर काम करें। अगर आप गलती
करते है तो कोई बात नहीं, लेकिन हार मानना
सही नहीं है। जब आप अपने सपने को अधूरा
ही छोड़ देते हैं तो यह सिर्फ आपका ही नुक्सान
नहीं है बल्कि उन सभी लोगों का भी नुक्सान
है जिनका आपके सपने से भला या फायदा हो
सकता था।


AWAKEN YOUR MIND, UNCHAIN YOUR HEART:-
 इंसान अक्सर फिजिकल अपीयरेंस को बहुत
तवज्जो देता है। ज्यादातर लोगों के लिए यही
सबसे ज़्यादा मायने रखता है। यह पहली चीज़
होती है जो लोग देखते हैं और इसी के पैमाने पर
वो दूसरों के साथ अच्छा या बुरा बर्ताव करते हैं।
सोसाइटी अच्छे दिखने वाले इंसान को वैल्यू देती
है। अच्छे दिखने वाले इंसान को एक तरह का
स्पेशल ट्रीटमेंट और पहचान मिलती है। कुछ लोग
सिर्फ किसी के लुक्स को उसकी पूरी पहचान मान
लेते हैं। लेकिन वो इस बात को भूल जाते हैं कि
इंसान के पास उसके लुक्स से बढ़कर भी कुछ है
और वो है उसकी आत्मा

लोग कई बार हमारे शरीर को एक मशीन की
तरह देखते है। केमिकल रिएक्शंस की मदद से,
हमारा ब्रेन सांस लेना और दिल धड़कने जैसे
respond करता है। बायोलॉजी की मदद से,
हमारा फिजिकल अपीयरेंस एक्सप्लेन किया जा
सकता है, यहाँ तक की शरीर के काम करने का
तरीका भी।

अब, थोड़ा सा टाइम निकाले और इस सवाल के
बारे में सोचे। अगर आपका शरीर मशीन है तो
इसे कंट्रोल कौन करता है? हम ये जानते है कि
कोई भी मशीन अपने आप काम नहीं कर सकती
। कोई जरूर होगा जो इसे चालू या बंद करता है,
इसके खराब हो जाने पर इसे ठीक करता है और
इसे अपग्रेड करता है।

यह हमारी आत्मा है, वो स्पिरिट जो हमारे अंदर
है। अपने चारों ओर देखिए, आपको क्या लगता है
आपकी आँखो से कौन देख रहा है? कौन आपके
हाथ हिला रहा है? कौन आपके मुँह से बुलवाता
है? एक मशीन सिर्फ पैटर्न के हिसाब से ही
फंक्शन करने के लिए बनी है पर ये पैटर्न किसने
बनाए हैं?

यह चैप्टर आपको यह समझने में मदद करेगा
कि आत्मा हमारे फिजिकल अपीयरेंस से ज्यादा
पावरफुल है। हमारी आत्मा ही हमारी सच्ची
पहचान और पर्पस को दिखाती है।
इसके अलावा, आपकी आत्मा हमेशा आपके
फिजिकल अपीयरेंस के पीछे रहने के लिए नहीं
है। आपकी आत्मा में बहुत पॉवर है और एक
पर्पस भी है। इसमें बहुत विस्डम यानी नॉलेज है
और यह हम सब के अंदर एक बहुत इम्पोर्टेन्ट
फ़ोर्स है।
हम में से बहुत लोगों ने इस फ़ोर्स को फील किया
होगा लेकिन डर के कारण इसके बारे में कुछ नहीं
किया होगा। हमारा माहौल, हमारी सोसाइटी हमें
यकीन दिलाती है कि हम कुछ नहीं कर सकते। ये
हमें सोचने पर मजबूर करते है कि हम लोगों की
उम्मीदों को पूरा नहीं कर सकते और हम हमेशा
अलग ही रहेंगे।
हालांकि, अलग होने में कोई बुराई नहीं है और
न ही सच्चा रहने में एक महान आत्मा हम सब
के अंदर है। हम सब की लाइफ का एक यूनिक
पर्पस और जीने का तरीका है। इसलिए कोई भी
रुकावट हमें कुछ बनने से रोक नहीं सकती।
Example के लिए, साउथ अफ्रीका के
प्रेसिडेंट रह चुके नेल्सन मंडेला को ही ले
लीजिए। वो एक ऐसे इंसान का परफेक्ट
example हैं जिनका पर्पस और आइडेंटिटी
उन चैलेंजेस से कई गुना बड़े हैं जिनका उन्हें
सामना करना पड़ा है। मंडेला ने अपने लोगों के
लिए शांति और समान अधिकारों के लिए लड़ाई
लड़ी। भले ही इस वजह से उन्हें 27 साल की जेल हुई, लेकिन ये उन्हें अपने गोल का पीछा करने से नहीं रोक पाया ।

जेल में रहने के तीन साल बाद, उन्हें साउथ
अफ्रीका के प्रेसिडेंट के रूप में चुना गया। इन
सब मुश्किलों के बाद वो फाइनली एक ऐसी जगह पहुंचने में कामयाब हुए जहां वह अपने लोगों की मदद कर सके। अगर आप जानते है कि आप क्या कर सकते है तो हार ना माने और न ही कोम्प्रोमाईज़ करें। आपको इसके लिए लड़ने करने की जरुरत है।

नेल्सन मंडेला की कहानी एक रिमाइंडर है कि
आप लाइफ में कुछ भी कर सकते है। अपने अंदर सुस्त पड़ चुके विज़न और गोल को जगाइए और सक्सेस के लिए प्लान करना शुरू कीजिये। उन रुकावटों को तोड़ दीजिये जो आपको आगे बढ़ने से रोकती हैं, अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलें और लाइफ को खुल कर जीना शुरू करें।


सच्ची खुशी:-

इमेजिन कीजिए कि आप Lamborghini
खरीद रहे है, जो आप हमेशा से खरीदना चाहते
थे। आप के पास एक अच्छा घर है, बैंक में अच्छे
खासे पैसे है और बिज़नेस भी अच्छा चल रहा है।
इन सब के बाद भी आप खुश नहीं है और न ही
आप के पास मोटिवेशन है।

ख़ुशी के बारे में यही तो सबसे बड़ी ग़लतफहमी है
कि लोग सोचते है कि वे इसे ढूंढ सकते है लेकिन
सच तो यह है कि हम ऐसा नहीं कर सकते। सच्ची खुशी कही ढूंढी नहीं जा सकती वो तो आपके अंदर ही होती है।

इसलिए चाहे आप कितना भी पैसा कमा ले और
कितनी भी गाड़िया खरीद ले, आप तब तक खुश
नहीं हो पाएंगे जब तक आप अपने अंदर पहले
से मौजूद खुशी को ना ढूंढ ले |

इस चैप्टर का पर्पस आपको यह बताना है कि
आप कोई भी इमोशन कहीं भी और कभी भी
क्रिएट कर सकते है। आप जहां हैं वहीं खुश रह
सकते हैं, आप चाहें तो उदास भी हो सकते है।
हर चीज़ आपकी चॉइस पर डिपेंड करती है।
ऑथर यह कहना चाहते हैं कि ख़ुशी यह जानने
के बारे में है की आप हर वक्त खुश नहीं रह
सकते और यह बिलकुल नॉर्मल है।

सोसाइटी ने हमें ये यकीन दिलाया है कि लाइफ में सिर्फ दो इमोशंस है, ख़ुशी और दुःख। जैसे, जब आप सोफे पर पांच मिनट तक शांति से बैठेंगे तो लोग आपसे पूछने लगेंगे कि क्या आप दुखी हैं। उस टाइम के बारे में सोचिए जब आप कुछ काम करते वक़्त पूरी तरह से फोकस कर रहे थे, क्या आप उस वक्त खुश नहीं थे?

लाइफ सिर्फ सुख और दुःख के बारे में नहीं है।
इन दोनों के बीच में कुछ और भी है। हमारी
लाइफ materialistic यानी दुनिया की
सुख सुविधा देने वाली चीज़ो में खुशी ढूंढते हुए
वेस्ट करने के लिए नहीं है। हमारी लाइफ सेल्फ
डेवलपमेंट की खोज के बारे में है, एक ऐसी
लाइफ जो imperfection से भरी होने के
बाद भी पूरी सी लगती है।

दूसरों से पहचान पाने की इच्छा छोड़ दें।
सोसाइटी जो कहती है उसे फॉलो करना छोड़ दें।
अपने आप पर विश्वास करना शुरु कीजिए और
ख़ुद के प्रति सच्चे रहिए। अपने हर स्ट्रगल और
ज़ख्म के बाद भी आप खुश रह सकते है।
लाइफ में सच्ची खुशी बिना संघर्ष किए नहीं
मिल सकती। सच्ची खुशी उसे मिलती है जो इन
चैलेंज से लड़ने की हिम्मत और ज़ज्बे को बनाए
रखता।


कन्क्लूजन:-

एक ऐसी दुनिया में जहां लोग आपसे कहते रहते
हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते, इस समरी का
पर्पस है आपको यह दिखाना कि आप कुछ भी
कर सकते है।

यूनिवर्स आपके साथ है, आपको चीयर कर रहा है नया बिज़नेस शुरू करने के लिए, उस किताब
को लिखने या व्लॉग को शुरू करने के लिए जिसे
आप सच में करना चाहते हैं। आप ऐसा कर
सकते है क्योंकि आप बने है बड़ी चीज़े करने के
लिए।

आप कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि आपने एनर्जी
को ठीक से यूज़ करना सीख लिया है। आप
जानते है कि क्या अवॉयड करना है और क्या
इम्प्लीमेंट करना है। आपने कम्प्लेन करने की
जगह अप्प्रेसिएट करना भी सीखा।
आप कुछ भी कर सकते है क्योंकि आप मेहनत
करते हैं। आप जानते है सक्सेस रातों-रात नहीं
मिलेगी और टॉप तक पहुंचने के लिए आपको
काम करना पड़ेगा। आप ऐसा कर सकते हैं
क्योंकि आप में अपने डर को फेस करने और
उनसे बाहर आने की हिम्मत है।
आप ऐसा कर सकते है क्योंकि आप के पास
एक पर्पस है। ऐसा पर्पस जिसे आपके अलावा
और कोई पूरा नहीं कर सकता। इसलिए आपने
आप पर डाउट करना छोड़ दें और उस ओर काम
करना चालू करें। लाइफ रिस्क लेने के बारे में है।
बैकग्राउंड में रह कर अपनी लाइफ जीना बंद
करें।

आप ऐसा कर सकते है क्योंकि आपने जाना कि
लाइफ ख़ुशी के पीछे भागने के बारे में नहीं है,
सेल्फ डेवलपमेंट के बारे में है। आप जहां है वहां
खुश रह सकते हैं। आप फेल होने के बाद भी
ठीक रह सकते है।

कोई भी आपको यह नहीं बता सकता कि आप
क्या कर सकते हो और क्या नहीं, क्योंकि आपको खुद से ज्यादा और कोई नहीं जनता है। आप अपनी शिप के कैप्टेन भी हो और लीडर भी, अपने कैनवास के आर्टिस्ट भी आप खुद ही है। लाइफ वो है जो आप उसे बनाते है और इसे
बनाने और बर्बाद करने की चॉइस भी सिर्फ़
आपके पास ही है।

सच कहूं तो सोसाइटी और माहौल का हम पर
 कोई हक़ नहीं हैं। उन्हें पावर देने वाले हम ही है।
 अब, उस पावर को वापस लेने का टाइम आ गया है। किसी और के सपनों को जीना बंद कीजिए और अपने सपनों को जीना शुरू कीजिए। आप यूनिक, ब्यूटीफुल और ब्रेव है कौन कहता है कि आप कुछ नहीं कर सकते हैं? आप कुछ भी कर सकते है, इसमें कोई शक नहीं है लेकिन इसे सही साबित की चॉइस आपके हाथ में है.

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